शनिवार, 1 सितंबर 2012

अपना दल ने किया धरना प्रदर्शन

बिजली व्यवस्था में व्यापक सुधार करने तथा किसानों को समय पर खाद, पानी मुहैया कराने की मांग
लखनऊ, 31 अगस्त 2012 : पूरा प्रदेश बिजली के बड़े संकट से जूझ रहा है जिसकी पृष्ठभूमि को देखिए तो इस विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार, घूसखोरी, कमीशनबाजी
और इसके कर्मचारियों व अधिकारियांे द्वारा कराई जा रही बिजली की चोरी मुख्य कारणों में है। इस विभाग पर प्रदेश सरकार ने लगता है अपना पूरा नियन्त्रण खो दिया है जिसके चलते आज साइकिल का पंचर जोड़ने वाले से लेकर बड़े व छोटे उद्योग, कुटीर उद्योग, व्यापारी, अस्पताल, स्कूल, कालेज, कार्यालय चाहें व सरकारी हों चाहे संस्थानों के, घर-परिवार के लोग, बच्चे, महिलाएं, क्या नवजवान क्या वृद्ध सभी त्राहिमाम-त्राहिमाम करते नजर आ रहे हैं। यह बात अपना दल की विधायक अनुप्रिया पटेल ने किसानों की समस्याओं को लेकर आयोजित प्रदेशस्तरीय धरने के दौरान कहीं।
पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव ने मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में मांग की हैं कि वह प्रदेश में बिजली सभी जनपदों में एक निर्धारित समय में विद्युत आपूर्ति करना सुनिश्चित होने के साथ आपूर्ति होने वाली वोल्टेज को 220 वोल्ट पर ही केन्द्रित किया जाये जिससे किसानों के ट्यूबवेल खेती के अन्य उपकरण, बाजारों में होने वाले उद्योग धन्धे सब सुचारू रूप से चल सकें। जिन अधिकारियों व कर्मचारियों के अडि़यल रवैये व नकारेपन से सरकार की नीतियों को पूरा कर पाने में पिछले कई वर्षों से बाधा आने के प्रमाण मिल रहे है उन्हें तत्काल प्रभाव से सेवामुक्त किया जायेे वरना यह निकम्में लोग केवल अपनी जेबें भरेगें इन्हें सरकार व उसके राजस्व को बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं हैं।
श्रीमती पटेल ने कहा कि प्रदेश में बिजली कटौती होने और बाजार से खाद गायब हो जाने से इसकी कालाबाजारी बढ़ गई जिससे किसानों में हाहाकार मच गया है, बिजली और किसानों को खाद प्रचुर मात्रा में उपलब्ध न होने तथा बिजली आपूर्ति का सुनिश्चित न होने और भारी कटौती होने से जहां उद्योग-धन्धों मे होने वाले उत्पादन पर असर पड़ा है, वहीं पर उत्पादन का कोटा पूरा करने  के लिए इन्हें जेनरेटरों से बिजली आपूर्ति करनी पड़ती है जो बिजली के मूल्य से तीन गुना अधिक लागत की होती है लिहाजा सामानों के दाम बढ़ते हैं और आम जनता व उपभोक्ता पर मंहगाई का बोझ बढ़ता हैं। उन्होंने कहा कि अगरकिसान इसके खिलाफ आवाज उठाता हैं तो उसे लाठियां खानी पड़ती हैं। प्रदेश सरकार का अपने ही अधिकारियों पर नियन्त्रणन होने के चलते इस संबंध में और भी लचरता आती जा रहीं हैं।

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