बुधवार, 18 जनवरी 2012

अपना दल का मत प्रतिशत ही नही बढ़ेगा ब्लकि सीटे भी जीतेगा



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अपना दल की राष्ट्रीय महासचिव अनुप्रिया पटेल को पूरी उम्मीद है कि इस बार न केवल दल का वोट प्रतिशत बढ़ेगा,बल्कि सीटेँ भी।प्रदेश मेँ बनने वाली सरकार मेँ किसी तरह भागीदारी हासिल करना उनका लक्ष्य है।समाज मेँ बदलाव नीतियोँ से आता है और नीतियाँ सत्ता के बिना बनाई-बिगाड़ी नहीँ जा सकती हैँ।किसान-मुसलमान के सवाल पर दल करीब 100 सीटोँ पर किस्मत आजमाएगा।अनुप्रिया खुद वाराणसी की रोहनियाँ सीट से प्रत्याशी हैँ।व्यस्ततम दिन के बीच मिली थोड़ी फुरसत के दौरान अमर उजाला से बातचीत के खास अंश :

विस चुनाव से क्या उम्मीदेँ?


इस बार वोट प्रतिशत भी बढ़ेगा,सीटेँ भी जीतेगेँ।पिछली बार हमेँ 10 फीसदी से अधिक मत मिले थे,इस बार यह ग्राफ किसी सूरत मेँ 15-16 फीसदी से कम नहीँ होगा।सीटेँ भी अप्रत्याशित होँगी।हाल ही मेँ वाराणसी व इलाहाबाद मेँ हुयी सभा मेँ लोगोँ को हमारी बढ़ती ताकत का अहसास हो गया है।

इस उम्मीद की वजहेँ?


देखिये पिछले सालोँ मेँ हमने कुर्मी समाज के सवालोँ और स्वाभिमान को मुद्दा बनाकर जमीन मजबूत कर ली है।हमेँ वोट भी संतोषजनक मिले।पर अन्य बिरादरी के खुल कर साथ न आने से हम विधानसभा मेँ उपस्थिति दर्ज नहीँ करा पाए।इस बार गठबंधन का फायदा मिलना तय है।खासतौर से कुर्मी व मुसलिम मतोँ की जुगलबंदी बड़े गुल खिला सकती है।

बातचीत तो कांग्रेस से भी हुयी थी!


हाँ,दिग्विजय सिँह और कनिष्क से कई दौर मेँ बातचीत हुयी,पर अंजाम तक नहीँ पहुंच सकी क्योँकि कांग्रेस हमेँ काफी कम सीटेँ दे रही थी और साथ ही विश्वनाथगंज,प्रतापगढ़ सदर,फाफामऊ व सिराथू जैसी हमारी मजबूत सीटेँ भी अपने लिये मांग रहे थे।ऐसा मुमकिन नहीँ था।दल बिखर जाता।फिर कांग्रेस मेँ हमेँ मिलता भी क्या था।एक तो उसकी जमीन कमजोर है,दूसरा उसका वोट हमेँ शायद ही ट्रांसफर होता।हां,कांग्रेस हमारी ताकत अवश्य सोख लेती।

रोहनियां से लड़ने की वजह?


मेरे पिता सोनेलाल पटेल का इस क्षेत्र से जीवंत रिश्ता था।पर बात इतनी ही नहीं।इस विधानसभा क्षेत्र मेँ 90 हजार कुर्मी वोटर हैँ।इस इलाके मेँ जाने पर सोनेलाल की बिटिया के संबोधन के साथ लोगोँ खासतौर से औरतोँ ने जो गर्मजोशी दिखायी,उससे भी इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिये मनोबल बढ़ा।

मुख्य चुनावी मुद्दा!


किसान और मुसलमान।किसानोँ की बेहतरी के लियेँ किसान आयोग बनना चाहिये।बुनकरोँ व अन्य लघु उद्योगोँ के लिये खास स्कीमेँ प्रारम्भ होनी चाहिए।



अतीक अहमद को टिकट....?


उनकी छवि कुछ भी हो।मुझे एक बात याद है कि जब मेरे पिता राजनीतिक कारणोँ से जेल मेँ थे,तब अतीक ही थे जो उनका हाल चाल लेने जाते थे।

स्रोत : अमर उजाला

1 टिप्पणी:

  1. Hame kuchha bate ya to samajh nahi aati ya spasht nahi hai. Ham Dr sone lal patel ji ke rajnaitik yatra aur sangharsh ko sweekarte aur samman dete huye namrata se kuchh jwalant vishayo par khulasa chahate hai.Kya jail me aapake pitaji ka hal chal lena hi pratyasi hone ki yogyata hai? Kya apandal ko rajniti me awasarvadi, aparadhi aur brashtachari sweekary hai? Kya kisi sangathan par jati ka label chaspa kar dene se vah jati sammanit aur swabhimani ho jati hai? Kya kisi dal ke rashtriy neta ko chunav aane par chunav kshetra ke liye idhar udhar bhatkana chahiye? Usaka apana karm kshetra nahi hona chahiye? Kisi sashakt kintu bechre karykarta ke 5 salo ki fasal party anusashan ke nam bada neta hkud kat le kya yah naitik manviy ya loktantrik kisi bhi tarah se uchit hai?

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