डा0
सोनेलाल पटेल अपने आठ भाईयों व दो बहिनों में अकेले थे जिन्होने अपने माता
पिता का नाम रोशन करते हुए समाज की सेवा में लगे थे उनकी इस सेवा में उनकी
पत्नी का पूरा सहयोग सराहनीय रहा।डा0 ऐसे उदार प्रवृत्ति के थे कि
जिन्होने प्रदेश ही नही देश के विभिन्न भागों में राष्ट्र निर्माता सरदार
पटेल के नाम से बने धर्मशालाओं के निमार्ण में सक्रिय योगदान देकर आर्थिक
सहायता किये थे। डा0 सोनेलाल पटेल जी 1987 से लेकर 1996 तक अखिल भारतीय
कुर्मी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष रहे | इसके बाद 1991से 1998 तक अखिल
भारतीय कुर्मी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष व महासचिव दोनो पदों पर थे।इसके
बाद 1998 से लेकर 2000 तक अखिल भारतीय कुर्मी महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष
की हैसियत से समाज की सेवा की। ब0स0पा0 को आगे बढ़ाने में यशःकायी डा0
सोनेलाल पटेल के योगदान को भुलाया नही जा सकता।वे ब0स0पा0 के प्रदेश
महासचिव भी थे। बुद्धिजीवी डा0 सोनेलाल पटेल को काशीराम की यह बात पूरी तरह
से खल गयी कि जिसमें उन्होने कहा था कि कुर्मी समाज नेतृत्व नही कर सकता
है। उसे चमारों के पीछे चलकर कुछ ले लेना चाहिये। यह बात डा0 पटेल जी को
पूरी तरह से नागवार लगी। सनद रहे कि उन दिनो डा0 सोनेलाल पटेल कुर्मी
क्षत्रिय महासभा उ0प्र0 के अध्यक्ष थे और विधायक रामदेव पटेल कुर्मी
क्षत्रिय महासभा उ0प्र0 के महासचिव और इं0 बलिहारी पटेल संरक्षक थे तीनो
लोग ब0स0पा0 के साथ लगकर राजनीति कर रहे थे। मायावती की सरकार में कुर्मी
समाज के अधिकारियों का जबर्दस्त उत्पीडन किया जाने लगा जो पूर्ववर्ती
सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात थे। महासभा के संगठन पर अधिकारियों
कर्मचारियों का दबाव था। अधिकारियों ने शिकायत डा0 पटेल जी से की डा0 पटेल
जी ने मुख्यमंत्री आवास 5 कालीदास मार्ग जाकर सात पृष्ठों का ज्ञापन दिया
जिसमें अधिकारियों की व्यवस्था का विवरण था। महासभा के संरक्षक इं0 बलिहारी
पटेल पेशे से इं0 थे उन्हे यह बात असहय प्रतीत हुयी। इसके बाद आनन फानन
में महासभा की बैठक सचान गेस्ट हाउस कानपुर में बुलाई गयी।जिसमें तीनो लोगो
के अलावा अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित रहे। कुर्मी समाज में राजनैतिक चेतना
जागृत करने हेतु समूचे प्रदेश में रथ निकाल कर रैली करने की योजना बनी। 30
अक्टूबर 1994 में कुर्मी स्वाभिमान योजना रथ यात्रा के माध्यम से प्रदेश के
38 जिलों में भ्रमण कर रैली करने का निणर्य हुआ। 19 नवम्बर 1994 का लखनऊ
के बेगम हजरत महल पार्क में विशाल कुर्मी समाज के लोगों ने देश के राजनैतिक
दलों को अपनी ताकत का एहसास करा दिया। जिसमें राजनैतिक दलों मे खलबली मच
गयी। इस रैली के मुख्य अतिथि डा0 सोनेलाल पटेल जी थे।डा0 पटेल ने एहसास करा
दिया कि प्रदेश में कुर्मी समाज किसी से पीछे नही है। बल्कि स्वयं आगे
चलने में सक्षम है।यह कहावत सच ही साबित हो गयी कि‘‘ सब चले कुर्मी की
पीछे,कुर्मी चले न काहू के पीछे’’ इस कार्यक्रम के सकुशल सम्पन्न हो जाने
के लगभग 9 माह तक विचार मंथन के बाद पुनः कुर्मी स्वाभिमान राजनैतिक चेतना
रथ यात्रा के माध्यम से लगभग 47 दिन का कार्यक्रम तय किया गया जो 17
सितम्बर 1995 को कानपुर से शुरू हुआ। जिसमें रथ यात्रा प्रदेश के अधिकांश
जिलों में जनसभा के माध्यम से कुर्मी समाज को ललकारा गया और राजनैतिक सोच
पैदा की गई। जिसका समापन 31 अक्टूबर 1995 को पटेल जयन्ती के दिन खीरी जनपद
से किया गया और रथ यात्रा को सीतापुर मे रोक दिया गया। 4 नवम्बर 1995 को
लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में कुर्मी स्वाभिमान राजनैतिक चेतना रैली
प्रस्तावित थी परन्तु स्थान न मिल पाने के कारण बारादरी के मैदान में रैली
की गयी। जिसमें लाखों लोगो की उपस्थिति थी जो आज तक की सबसे बड़ी जातीय
रैली हुयी। जिसको बी0बी0सी0 लन्दन ने बखान किया। इसी रैली में ‘‘अपना दल’’
नामक राजनैतिक पार्टी का गठन किया गया। इस रैली के मुख्य अतिथि डा0 सोनेलाल
पटेल जी थे।अपना दल की घोषणा इं0 बलिहारी पटेल ने की जो संचालन कर रहे थे।
दल की घोषणा होते ही जिन्दाबाद के गगन भेदी नारे लगे और उपस्थित लाखों
कार्यकर्ताओं ने खुशी का इजहार किया। 11/12 नवम्बर 1995 को बेगम हजरत महल
पार्क में ‘‘अपना दल ’’ का खुला अधिवेशन किया गया। जिसमें डा0 सोनेलाल पटेल
राष्ट्रीय अध्यक्ष और रामदेव पटेल उ0प्र0 के संयोजक और इं0 बलिहारी पटेल
दल के संरक्षक और हाई पावर कमेटी के चेयरमैन बनाये गये। फिर आम जनमानस में
दल का प्रसार तेजी से हुआ, समय अपनी गति से आगे बढ़ता गया दल का प्रसार
उ0प्र0 के अलावा डा0 पटेल के नेतृत्व में बिहार, म0प्र0, छत्तीसगढ़,
झारखण्ड, दिल्ली, महाराष्ट्र, तक फैल गया। डा0 पटेल अविरल प्रवाह की तरह
राजनैतिक क्षितिज पर आगे बढ़ते चलते गये। और विश्व हिन्दू परिषद की तर्ज पर
विश्व बौद्ध परिषद् की स्थापना की। जिसका प्रथम अधिवेशन 14/15 फरवरी 1999
को लाखों किसान कमेरों के साथ हिन्दू धर्म को सरयू तट फैजाबाद के अयोध्या
में लगा करके लंका के राजदूत के समक्ष भ्रन्ते प्रज्ञानन्द बौद्ध धर्म की
दीक्षा दी और बोधिसत्व डा0 सोनेलाल पटेल कहलाये। उसी दिन से डा0 सोनेलाल
पटेल जी कट्टर हिन्दू संगठनों की आँखों की किरकिरी बन गये ।
12 नवम्बर 1995 सायं 3.00 बजे को दल का संविधान एवं झण्डा वितरित किया गया तथा दल का सक्रिय अर्थ बताया।
जिसका वर्णन निम्न प्रकार है-